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सोमवार, 29 फ़रवरी 2016

वफ़ा

Wafa in Hindi

वफ़ा क्या होती है ? क्या हम इसे भली -भाँति  समझते हैं ? दूसरों का ख्याल रखना ,बात को मानना या फिर  प्रेम को जाहिर करना, क्या इसी को वफ़ा कहतें हैं ?  कुछ लोग सामने वाले की नाराजगी और  घृणा को सह कर भी अपनी वफ़ा को प्रदर्शित करते हैं। मगर मैं नहीं मानती ऐसे वफ़ा को। क्योंकि हम  इंसान हैं। हमें  हक़ है अपने बारे में सोचने का। हमारे पास ईश्वर की कृपा से मस्तिष्क रूपी यन्त्र है, जिसके द्वारा  हमें सही और गलत के फर्क का ज्ञान होता है। 

मगर वो बेजुबान, जिनको ईश्वर ने जुबान भी नहीं दिया और जो अपनी भावनाओं को कह कर व्यक्त भी नहीं कर सकतें  हैं , उनके बारे में हमनें क्या कभी सोचा है ? हमने अक़्सर फल मंडी,सब्जी मंडी,  बाजारों में जानवरों को फलों -सब्जियों में मुँह लगाने  पर मार खाते देखा होगा। दुकानदारों के हाथों में जो कुछ भी आता है, वो उसी से मारने  लगतें हैं - कभी -कभी जानवरों के  पैर टूट जातें हैं ,और चोट खाने से उनकी त्वचा तक फट जाया करती है। वो  कुछ कर नहीं पाते। 

रविवार, 28 फ़रवरी 2016

खरा सोना

Khara Sona in Hindi

आज कल  एकल परिवार की ही प्रथा हर कही देखनें को मिल रही  है। कोई भी संयुक्त परिवार में  रहना नहीं चाहता। जब हम कभी  परेशानियों में होते है और हमें किसी की राय की जरूरत  महसूस होती  है तो हमें लगता है कि हमारे सिर पर बड़े बुजुर्गों का हाथ नहीं है। उनके जीवन के अनुभवों से हमारी जिंदगी कितनी आसान हो जाया  करती थी । एकल  परिवार के बच्चों में वो संस्कार ,सदस्यों से भावात्मक जुड़ाव कहाँ  देखने को मिलते है ? वो कहानियां, जो बच्चों के बौद्धिक विकास में सहायक होती थी, जिनके द्वारा वो ना जाने कितने ज्ञान बिना किताबों के हासिल  लेते थे, आज गायब सी हो गयी हैं ।  बच्चों के हाथ में आज केवल टी.वी का रिमोट होता है, जिससे  वो सिर्फ कार्टून देखते हैं या वीडियो गेम्स खेलते हैं। आइये, आज शहर में रहने वाले एकल परिवार की जिंदगी के बारे में जानते हैं। 

अलार्म की आवाज से सुधा की नींद टूटी उसने देखा सुबह के 8 :00 बज गएँ हैं, वह  घबरा कर कमरे से बाथरूम की तरफ भागी फिर उसने बच्चों को जगा कर तैयार किया।  सुधा ने अपने पति रवि को भी जगाया। तब तक काफी समय हो गया था। सुधा ने रवि से कहा ,"बच्चों को   रास्ते में कुछ खिला देना और तुम भी कुछ खा लेना। मैं कुछ बना नहीं सकी। मैं ऑफिस जा  रही हूँ। " फिर सभी अपनी-अपनी मंजिल पर निकल गए। 

शनिवार, 27 फ़रवरी 2016

सच्ची खुशी

Sachchi Khushi in Hindi

कल से  मेरा मन बहुत उदास था। वजह  तो नहीं जानती, मगर कुछ करने का मन नहीं कर रहा था। बस मन में यही बात थी कि  कोई मुझसे बात न करे और  मैं चुप-चाप बस सोचती ही रहूँ।  परेशानी सिर्फ मुझे ही नहीं, मेरे जैसे ना जाने कितने लोगों को  है।  छोटी -छोटी बातों   को दिल पर  ले कर न जाने कितने समय तक हम सभी  परेशान रहतें हैं ,उससे बाहर ही नहीं आ पाते। आखिर  हमारे इन दुखों की वजह क्या है  ? मैं मानती हूँ कि कुछ बातें ऐसी होती है, जो हमारे मन में घर कर जाती है, जिनको भूलना आसान नहीं होता।  मगर क्या हमनें कभी  सोचा है कि उन मुश्किलों का हम खुद ही ऐसा जाल बुन लेते हैं कि जिससे बाहर नहीं निकल पाते। आखिर हम खुश क्यों नहीं हैं ? हमारे दुख की वजह क्या है ?

धीरज नाम का युवक एक ऐसी ही परेशानी का हल ढूढ़ने एक बाबाजी के पास गया। बाबा जी सभी तरह की परेशानियों का समाधान करते थे। धीरज  ने भी दुखों की लम्बी -चौड़ी  लिस्ट  बाबा जी  के सामने रख दी, जिसका वो समाधान चाहता था। बाबाजी ने धीरज  कहा," बेटा ! अभी घर जाओ कल आना और अपने साथ एक बड़ा पत्थर  ले आना।" अगले दिन धीरज घर से एक बड़ा पत्थर  ले आया और उसने उसे बाबा जी के सामने  रख दिया। फिर बाबाजी ने  धीरज को उस पत्थर को हाथ में उठाने के लिए कहा। फिर बोले नीचे रख दो। एक बार फिर सिर  पर रखने को बोले । फिर वापस नीचे रखवा दिया। थोड़ी देर बाद जाने लगे और धीरज से पत्थर को सिर  पर रख कर अपने पीछे आने को कहा।धीरज ने वैसा ही किया। 

गुरुवार, 25 फ़रवरी 2016

मेरी रसोई से-1

जब भी सुबह होती  है, तो परिवार में सभी लोगों का यही प्रश्न होता है कि नाश्ते में क्या है ? दिन की शुरुवात हेल्दी नाश्ते से की जानी चाहिए, क्योंकि  सुबह का किया गया नाश्ता हमारे शरीर को दिन भर जोश से  भरपूर  बना  देता है। अब सवाल उठता है कि क्या बनाया जाये और कैसे बनाया जाये ? रोज  वही ब्रेड-बटर ,पोहा ,नमकीन -बिस्किट को देख कर  बड़े -छोटे के चेहरे पर उदासी आ जाती और वो इसे डेली  देखना नहीं चाहते है। तो अब अपने परिवार को खिलाइये ये स्वादिष्ट  रेसिपी, मैंने इसे ट्राई किया  है। घर में  सभी को पसंद आया ,आप  भी ट्राई करें और सबकी  खुशी की वजह बन जाएँ।

रेसिपी -चिवड़ा रोल


बुधवार, 24 फ़रवरी 2016

इंसानियत

Insaniyat in Hindi

आजकल, मैं जब भी न्यूज़ पेपर के पन्नों को पलटती हूँ , तो मुझे हर रोज चोरी ,मार  -पीट की खबरें ही पढ़ने को मिलती हैं । कोई भी दिन ऐसा नहीं गुजरता, जब ऐसी घटनाओं की खबर न्यूज़ पेपर में न छपे। कभी चेन स्नैचिंग , तो कभी एटीएम में चोरी की कोशिश । यहाँ तक की कई आरोपी घरों में घुस कर डाका डालते है और सफलता में बाधा आने  पर लोगो की जान तक ले लेते है। क्या हो गया है, हमारे समाज के लोगों को ? दिलों में  इंसानियत ख़त्म कैसे होती जा रही है ?

 तभी मुझे उस दिन की स्मृतियों ने घेर लिया, जिस दिन  मैं और मेरी बहन कॉलेज जाने के लिए तैयार हुए थे । हमें कॉलेज में एडमिशन फार्म लेने जाना था। पिता जी से हमने 500 रूपए लिए और निकल गए। कॉलेज में हमने 100 -100 रुपए के फॉर्म खरीदे ,फिर वापस घर जाने के लिए निकले। मेरी बहन को कुछ और भी खरीदारी करनी थी और हमने मार्केट से कुछ सामान खरीदा। फिर उसने अपनी पायल, जो साफ करने को सोने -चांदी की दुकान पर  दी थी, उसे भी ले लियाऔर पर्स में रख लिया । 

मंगलवार, 23 फ़रवरी 2016

आत्म सम्मान

Aatma Samman in Hindi

हर व्यक्ति का यह कर्तव्य होता है कि वो अपने आत्मसम्मान की रक्षा स्वयं करे। जब कोई व्यक्ति स्वयं का सम्मान नहीं करता है, तो उसे दूसरों से सम्मान की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। जब शादी होती है, तो लड़का -लड़की पति-पत्नी के दांपत्य सूत्र में बांधे जाते हैं। फिर दोनों का उत्तरदायित्व हो जाता है कि एक दूसरे के सम्मान की रक्षा करें। ससुराल में  पति का दायित्व होता है, पत्नी का  ख्याल रखना। क्योंकि लड़की के माता-पिता बड़े  विश्वास के साथ अपनी  बेटी का हाथ उसे देते है और उन्हें ये भरोसा होता है कि उनके जिगर के  टुकड़े का  जीवन अब सुरक्षित हाथों में है। मगर कुछ ऐसी भी घटनाएँ सामने आ जाती  हैं, जो हमारे सामने जीवन की एक नई तस्वीर ले आती है, जिनको हम कभी स्वीकारना नहीं चाहते। 

आज की  कहानी एक ऐसे ही साधारण सी लड़की की कहानी  है, जो एक छोटे से गाँव में जनमी थी।  उसका नाम था, सुकन्या। सुकन्या अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी। उसके माता-पिता काफी संपन्न थे। उसने अपने जीवन में दुःख और परेशानियों का कभी अनुभव नहीं किया था। अब सुकन्या के बड़े होने पर उसके माता-पिता अपनी बेटी की शादी करने के बारे में सोच ही रहे थे, तभी शहर से एक बड़े ही संपन्न और पढ़े-लिखे घर से बेटी के लिए रिश्ता आया, जो सभी को पसंद आया।  शादी के बाद  सुकन्या  ने जैसे ही अपने ससुराल में कदम रखे , उस घर में खुशियों ने जैसे दस्तक ही दे दी। सुकन्या का स्वभाव बहुत ही चुलबुला था। उसने  अपने स्वभाव से सभी का दिल जीत लिया  था  और वह घर के सभी कामों में इतनी निपुण थी कि कोई तारीफ किये बिना रह नहीं पाता था।सुकन्या अपने पति सुरेश से बहुत प्यार करती थी और उन दोनों के बीच बहुत अच्छा ताल-मेल था। सुरेश के  काफी दोस्त थे, जो शादी में आये थे। मगर उन सभी में दीपक  सबसे पुराना दोस्त था ,जो परिवार के लोगों से भी  जुड़ा हुआ था। 

सोमवार, 22 फ़रवरी 2016

वो कौन थी ?

Wo Kaun Thi in Hindi

आज मैं आप सभी को कुछ ऐसी बातें बताना चाहती हूँ, जिसको हमारा मन कभी मनाने को तैयार नहीं होता है। मैं अपनी बीते दिनों की इससे संबंधित कुछ अविस्मृत यादें शेयर करना चाहती हूँ। आखिर यह शरीर क्या है, जो चलता -फिरता है और जब मृत्यु आती है, तो ऐसा क्या शरीर से निकल जाता है, जिससे ये शरीर निर्जीव हो जाता है। मैं हमेशा ऐसे न जाने कितने  सवाल अपनी माँ से किया करती थी।  माँ जो कि कम पढ़ी -लिखी थी, उनके पास न जाने कौन सी लाइब्रेरी की डिक्शनरी  होती थी ,  मेरे सभी सवालों के जवाब  उनके जुबान पर रखे रहते थे। एक  दिन मैंने माँ से पूछ ही लिया ," माँ क्या भूत  होते हैं ?  सहेलियां हमेशा भूतों की कहानियां सुनाती  रहती थी और कहती रहती थीं ,यहाँ मत  जाओ, वहाँ मत जाओ।" 

मेरी माँ ने गहरी साँस ली और मुस्कुराई और कहा,"भूत नहीं होता।  मगर आत्माएं होती है ,जो कुछ जगहों पर   हमेशा से रहती हैं ।" उस समय मुझे मेरी माँ की बातें बचकानी लगी, मुझे लगा कि वो बस ऐसे ही कह रही हैं। पर जब मुझे इसका वास्तविक अनुभव हुआ तो मेरा मन सिहर उठा। 

रविवार, 21 फ़रवरी 2016

छोटी आशाएँ

Chhoti Aashayen in Hindi


सुख और दुःख जीवन के महत्वपूर्ण पहलू है। जब बच्चा  जन्म लेता  है , तो  माँ  को न जाने कितने कष्टों का सामना करना पड़ता है और उसके आँख खोलते ही सारे दुःख ख़ुशी में परिवर्तित हो जाते है। संसार में  जन्म लेने वाला कोई भी व्यक्ति इस सुख -दुःख के चक्कर से बच नहीं सका है। जब कभी हम दुखी होते हैं , तो हम बहुत अधिक निराश हो जातें हैं। हमें लगता है कि ये समय कब बीतेगा ,कैसे बीतेगा। 

और जब हम खुशियों के दिनों को एन्जॉय करते है तो हम अपने उन दिनों का स्मरण भी नहीं करना चाहते है। मगर ये सुख -दुःख हमारे जीवन की परछाईयाँ है, जिनसे हम कभी भाग नहीं सकते और जब हम जीवन में आये मुश्किलो से घिर जाते है तो तभी हमें अपने और परायों की परख होती है। क्योकि जो लोग हमारे अच्छे दिनों के  साथी होते है उनमें से  ही कुछ लोग ऐसे भी होते हैं , जो परेशानियों में  हमसे  सारे रिश्ते-नाते तोड़ लेते हैं। 

शनिवार, 20 फ़रवरी 2016

प्यार के रंग

Pyar Ke Rang


प्यार के कई रंग  होते हैं।  हमारे आसपास अलग -अलग व्यवहार के लोग  रहते है, जिनका स्वभाव एक दूसरे से भिन्न होता है। हम सभी की पसंद और सोच-विचार में भी अंतर होता है। जीवन के  उम्र के दौरान एक ऐसा भी  पड़ाव आता है , हम किसी के प्रति आकर्षित होते हैं, वह व्यक्ति हमें अच्छा लगने लगता है।  इसी आकर्षण को हम  सभी प्यार  मान बैठते हैं।  मगर प्यार क्या है ? किसी का चेहरा ,कद-काठी ,रूप-रँग या फिर सादगी। सभी एक बार इस प्यार का एहसास करना चाहते हैं। प्यार अगर सच्चा हो तो, दुनियाँ  बदल देता है और यदि इसी प्यार में झूठ का पर्दा हो, तो यह  हमारी दुनिआ भी बर्बाद कर देता है।

कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो अपने इस आकर्षण को प्यार समझ लेते हैं। जब किसी के प्रति हमारे अंदर आकर्षण की भावना आये , तो हमें उस व्यक्ति की  भावनाओं को भी समझना चाहिए , क्योंकि प्यार कभी एक तरफ से नहीं हो सकता और न ही प्यार जोर-ज़बरदस्ती से  हासिल किया जा सकता है।

शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2016

सच्ची आस्था

Sachchi Aastha

मैं कोई राइटर नहीं हूँ और मुझे बहुत बड़ी -बड़ी बातें भी नहीं करनी आती है। मगर इतना मेरे मन में जरूर चलता रहता है कि जब हम निराश होतें हैं या किसी कार्य को नहीं कर पाते है और हमें जब असफलता का सामना करना पड़ता है, तो हमें याद आते है- भगवान ,खुदा या गॉड या हम जिस भी धर्म  को मानते है, उस प्रभु की । और हम जुट जाते है, उन तमाम कार्यो में, जैसे कि चादर चढ़ाना,धागे बांधना ,नारियल चढ़ाना, कैंडल जलाना इत्यादि। क्या इन सभी कार्यों को करने से हमें वो सफलता मिल जाती है ? शायद हाँ ,या नहीं भी। मै नास्तिक नहीं हूँ, मगर ईश्वर पर अँधा विश्वास नहीं करती। मै ये नहीं जानती कि ईश्वर होते है या नहीं। मगर कोई शक्ति जरूर होती है ,जो हमारे आस -पास ही रहती है, जिसके द्वारा सृष्टी का  संचालन होता है।

 हमें अपने कार्यों को करने की जो शक्ति मिलती है, शायद  हम उसी शक्ति को पूजते है। मगर  क्या वो शक्ति बड़े -बड़े चढ़ावे मांगती है ? लोग मंदिरों,मस्जिदों ,गिरजाघरों में जातें हैं, उसी राह  में न जानें कितने जरुरतमंद बैठे रहते है और हम उन्हें अनदेखा करके उन मंदिरों में महँगे-महँगे चढ़ावे चढ़ाते है। मगर जो लोग हाथों को फैलाये हमसे माँगते है, उनका हमें ख्याल नहीं आता। बस यही याद रहता है कि हमारा चढ़ावा जितना बेस्ट होगा , मन्नत उतनी ही  जल्दी पूरी होगी। 

गुरुवार, 18 फ़रवरी 2016

डायरी के पन्नों से -1

आजकल हमारे जीवन में न जाने कितनी ही समस्याएं है ,कुछ प्राकृतिक होती है, कुछ अचानक से आ जाती है। जैसे कि हम सभी जब खुश होते है तो सेलिब्रेट करते है और मन में  सबसे  पहले जो बात आती है वो खाने में क्या होगा और घर को कैसे डेकोरेट करें ? इन सभी काम को करते हुए हमारे किसी पसंदीदा कपड़ों पर अगर दाग लग जाता है, तो बस टेंशन  हो जाती है कि वो कैसे  दूर होंगे ? मगर मैं आप सभी के साथ अपनी डायरी के पन्नों से, "कपड़ो से दागों को आसानी से कैसे मिटायेंगे ?" शेयर करना चाहती हूँ। क्योकि मैं नहीं चाहती हूँ कि आपकी खुशियों में कोई दाग -धब्बा रूकावट बने। 

स्याही के दाग -1 .  बाल पेन के दाग को छुडाने के लिए दाग वाले स्थान को दूध में डुबों कर धीरे -धीरे रगड़े।
                       2.  दाग वाले स्थान पर टूथपेस्ट फैलाकर लगा दें और कुछ देर बाद पानी से धो लें।


मोम के दाग -उस स्थान पर क्राफ्ट पेपर रखकर गरम आयरन रगड़ें, मोम पिघलने लगेगा।

हेयर डाई लगने के दाग- दाग लगे स्थान पर प्याज कुछ देर रखें,फिर धों लें।

काजल के दाग -एक कप पानी में एक चम्मच सुहागा मिलाकर ,इसी पानी से दाग वालें स्थान को साफ करें।

बुधवार, 17 फ़रवरी 2016

नन्ही आँखों के सपनें

Nanhi Aankhon Ke Sapne


जब हम छोटे होते है, तो हम सभी के मन में कुछ बड़ा कर दिखाने के सपने होतें है। मुझे याद है, जब मैं विद्यालय की शिक्षिका थी, जिसमे नन्हे -नन्हे बच्चे पढ़ते थे, वहां उन  बच्चों से सवाल करने पर ,इन्ही बच्चों में कोई डॉक्टर,तो कोई इंजिनियर, कोई साइंटिस्ट,कोई पुलिस  बनना चाहता था।  वो नन्हे बच्चे सपने देख सकते है, क्योकि उन्हें वास्तविक दुनिया का ज्ञान नहीं होता ,कि बड़ा होना तो आसान है मगर नाम कमाना बहुत ही मुश्किल। 

हमारे देश में शिक्षा का स्तर को बहुत ही ऊँचा  हो गया है, मगर उस शिक्षा को हासिल  कर लेने के बाद काबिल हुए नवयुवक और नवयुवतिओं को उनके लायक कोई  स्थान नहीं मिल पाता। न जाने कितने काबिल और पढ़े लिखे लोग हैं ,जिनको उनकी काबीलियत का स्थान नहीं मिल पाने की वजह से वे बेरोज़गार घूम रहे हैं। लोग वेल एजुकेटेड  होकर दुकान पर बैठने को मजबूर हैं , खुद का व्यवसाय मजबूरी में करते हैं।  

मंगलवार, 16 फ़रवरी 2016

हुनर

HUNAR IN HINDI


आज मैं जब सुबह उठी तो मैंने देखा कि एक महिला अपने बच्चे को  साथ लिए गेट पर खड़ी है, खाने के लिए  कुछ मांग रही है ,और वह भजन भी गा  रही थी। उसका बच्चा जिसके  हाथ में एक कटोरा था और  उससे  वो गाने की धुन निकाल रहा था। यकीन मानिये उस धुन को सुन कर  ऐसा  लग रहा था, जैसे की उन्होंने किसी संगीत में महारत गुरुओं से शिक्षा ली है।  उनके पास  सभी खिचे चले  आ रहे थे, बहुत भीड़  लग गई थी। उस  दिन मुझे ये लगा की हुनर कही भी किसी का हो  सकता है। 

जब अपने  हुनर को पहचान  कर हम उसे निखार लेते है, तो यही हुनर हमारी पहचान बन जाता है। न जाने कितनी ही गृहणियाँ  होंगी जिनके अंदर अदभुत गुण  भरे पड़े हैं , मगर उन्हें कोई प्लेटफार्म नहीं मिल पाता।  कभी-कभी अपने हुनर से वो खुद भी अनजान रहती है।

सोमवार, 15 फ़रवरी 2016

सॉरी

SORRY IN HINDI


Sorry .. एक छोटा  शब्द है , जिसका प्रयोग हर कोई जहाँ -तहाँ करता रहता है।  सब की जुबान पर 'सॉरी' जैसे रखा ही रहता है।  यह किसी हाजमे की गोली कम नहीं है ,जिसे हम ज्यादा खाना खा लेने के बाद प्रयोग करते  हैं, ठीक वैसे ही हम जब किसी से टकरा जाते हैं या जब हमसे किसी को कोई तकलीफ पहुँचती है, तो 'सॉरी ' शब्द का प्रयोग करते हैं। हम अपने गलत कार्यों और कटु शब्दों को इस तरह भुला देते हैं, जैसे की यह चीजें हुई ही न हो और वो भी  'सॉरी ' शब्द का इस्तेमाल कर के। यह शब्द किसी की भी बड़ी से बड़ी गलती की भरपाई कर देता है।  यह मेरे ही नहीं आप सभी के मन में आता होगा कि 'सॉरी 'तो बोल दिया अब क्या करूँ ? और आगे बाद जाते हैं।  उन्हें अपनी गलती पर पश्चाताप नहीं होता। क्या किसी को कष्ट पहुंचा देने के बाद 'सॉरी' के पांच लेटर काफी हैं ? 

मैं जब कभी घर से बहार निकलती हूँ , तब देखती हूँ कि  भागम -भाग भरी जिंदगी मैं किसी के पास समय नहीं है कि थोड़ा भी इन्तेजार कर सके।  आजकल की नई  पीढ़ी, जिनके माता -पिता ने  सुविधाएँ तो अपने बच्चों को दे रखी हैं यथा 12 -13 वर्ष की उम्र से ही बच्चे  दो पहिया वाहन  को जैसे-तैसे चलाते  हैं जैसे उनके माता-पिता ने उनको इन सड़कों को भी उन्हें गिफ़्ट कर दिया  है। अगर उनके इसी हरकत से किसी को चोट पहुँचती है , तो वो 'सॉरी' बोलकर आगे निकल जाते हैं।  

रविवार, 14 फ़रवरी 2016

हमसफर

HUMSUFER

"हमसफ़र "- ये शब्द जब भी हमारे कानों में पड़ता है , तब हमारी नज़रों के सामने एक विशेष व्यक्ति की अलग छवि छा जाती है। अपने जीवन साथी को लेकर सबकी बहुत ज्यादा उम्मीदें होती हैं, एक ही व्यक्ति में हम सभी गुणों को तलाशने लगते हैं और जब वह हमारी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता तो हमें बहुत निराशा होती है।  पर क्या हमें अपने हमसफ़र में ही सारे गुण चाहिए होते हैं ? हम कभी अपने गुणों या अवगुणों को क्यों नहीं विचारते ? क्या हमसे जुड़ने वाले शख्स की हमसे उम्मीदें नहीं होंगी ?  हर व्यक्ति में एक न एक गुण अवश्य होता है , जरुरत है  निखारने की। 

पड़ोस में रहने वाली कमला आंटी , जिन्होंने जब शादी की तो वह पांचवी पास थीं।  माता -पिता की सहमति से वेल एजुकेटेड लड़के से उनका विवाह हो गया।  शादी के बाद उनके पति बैंक में कार्यरत हो गए। उनका उठना-बैठना एजुकेटेड लोगों के बीच होता था। एक दिन कुछ लोग खाने पर आये।  उन लोगों ने कमला आंटी के घर की  सजावट देख बहुत तारीफ़ की और बनाये खाने को बहुत पसंद किया। मगर अपनी शिक्षा को लेकर वह बहुत उदास थीं।  उनको सभी से बात करने में असहजता महसूस हो रही थी। फिर सभी चले गए। उनके पति ने उनके हाँथ को पकड़ कर उनपर बहुत गर्व किया और कहा -"मैं बहुत नसीब वाला हूँ ,जो तुम मेरी पत्नी हो। क्या मैं तुमसे एक  बात कहूँ , मानोगी ! मैं चाहता हूँ कि  तुम अपनी पढ़ाई की  फिर से शुरुवात करो। " कमला आंटी ने हाँ कह दिया। उन्होंने अपनी छोड़ी पढ़ाई पूरी की और इण्टर के बाद करेस्पोंडेंस से आगे की पढ़ाई जारी रखी। आज वह एक प्रतिष्ठित विश्वविद्द्यालय की शिक्षिका के रूप में कार्यरत हैं।

शनिवार, 13 फ़रवरी 2016

बचपन..

BACHPAN



बचपन ! एक ऐसा शब्द है, जिसकी कल्पना मात्र से ही हर व्यक्ति के होंठों पर पर एक मुस्कान सी आ जाती है और वो मीठी यांदें ताजा हो जाती है ,जिनको हमने उन छड़ो में जिया है। हमारी माँ की हाथों की बनी मिठाईओं को, कभी माँ से  बिना बताये ले लेना ,पापा के दिए सिक्कों से मन चाही मीठी गोलिओं को खरीदना  ,बहन की चुटिया खींचनी हो या भाई के कलर पेंसिल को बिना बताये इस्तेमाल करना। वो झगड़े,रोना -रुलाना ,रूठना फिर मानना। वो नानी के घर माँ  साथ जाना और वहां के गावों में घूमना। कभी मामा  के गाड़ी की पहिये से हवा निकाल  देना। कभी मामी के बिंदी को लगा कर माँ जैसी बनाने की चाहत भुलाये नही भूलती। 

मगर आज हम उम्र के उस पड़ाव  में है, जब हमें जीवन के इस भागम-भाग भरे सफर में फुर्सत ही नही है कि  उन लोगों के बारें  में पूछें जो  कभी हमारे जीने की  वजह थे, हमारे होठों  सच्ची खुशी थे। माँ के उन पराठों का जायका हमारे पिज्जा ,बर्गर में कहाँ है। खीर क्या फ्रूट सैलट का  मजा दे सकता  है।  हमने खुद को मॉडर्न   बना लिया है ,पर  हम उन दिनों को क्या वापस ला  सकते है। मुझे  याद है जब माँ  के साथ नानी के घर जाती थी ,वहां  हमें मन पसंद की चीजे  को मिलती थी। खूब घूमना फिरना ,बे रोक -टोक कहीं  भी जाना ,दिन भर मौज मस्ती करना बहुत भाता था। मांमा  की सुनाई तोते की कहानी ,मामी जी के हाथ के  कचोरी समोसे कभी भुलाये नहीं भूलते। नानी के हाथों की सर की मालिश जैसी उन यादों की एक अलग ही छाप दिलों दिमाग में छा गई है। 

गुरुवार, 11 फ़रवरी 2016

नारी का सम्मान

NAARI KA SAMMAN


आज कल हमारे घर के भीतर और बाहर लड़कियाँ कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं , ऐसा क्यों ? कुछ घटनायें बीते वर्ष में  घटित हुई हैं , जो इतनी घृडित  और वीभत्स  हैं ,जिसकी याद जेहन में आते ही मन सिहर उठता है।  न जाने कितनी बेटियों की इज्जत को मिटटी में मिला  दिया गया , जिससे उन्हें अपनी जान गवानी पड़ी ,और तो और , समाज  में बेटियों का  इज्जत से जीने का अधिकार भी छीन लिया जाता है। हमारी बच्चियाँ आजादी से कहीं जा नहीं सकती , कौन से व्यक्ति की नियत कब ख़राब हो जाये ,कुछ कहा नहीं जा सकता।  क्या इसके लिए सिर्फ पुरुष ही जिम्मेदार हैं ? नहीं ! इस असुरक्षा के लिए लिए हम सभी  जिम्मेदार हैं।

आजकल , भारतीय पहनावे को  लोग भुलाकर और पश्चिमी सभ्यता के पहनावे को अपनाकर खुद को दूसरों बेस्ट दिखाने की होड़ में लगे रहते हैं।माता - पिता को फुर्सत नहीं है कि वो  अपने बच्चों की  ओर ध्यान  दे सके कि हमारे बच्चे क्या करते हैं , किन लोगों के बीच रहते हैं , कहाँ जाते हैं , उनके मित्र कैसे हैं ? उनको कुछ भी जानकारी नहीं होती।  और तो और , बच्चों को उनकी जरुरत और और उम्मीद से ज्यादे सुविधायें और पॉकेट मनी दे देते हैं , जिसका बच्चे खुल कर मनचाहा दुरुपयोग करते हैं। हम अपने माता -पिता के दिए गये  संस्कारों को भूल जाते हैं. हमारे पिता जी हमारे हाथों में पैसे नहीं देते थे बल्कि हमारी सारी जरूरतें पूरी कर देते थे, और समय -समय पर रोक -टोक होती थी कि कहाँ गई थी,किसके साथ थी ? हमें बुरा भी लगता था। मगर आज जब हम समाज में बेटियों के साथ बुरी घटनाओं के घटित होने की खबर पढ़ते हैं , तो हमें दुःख होता है , पर क्या हमें अपनी सोच बदलनी नहीं चाहिये ?

बुधवार, 10 फ़रवरी 2016

बेटी का दर्द


BETI KA DARD

मैं एक बेटी हूँ ,अपने माँ- पापा की, आप सभी की  तरह। मैं आप सभी से  कहना चाहती हूँ कि क्या घर और समाज में हमें वो दर्जा मिल गया है, जो हमें मिलना चाहिए और जो हर व्यक्ति का हक़ होता है। क्या बेटियों की स्थिति बदल गई है  या नहीं ? लोग तो बदल गए हैं ,मगर बेटिओं के प्रति समाज का विचार कभी नहीं बदला। मगर क्या हम वाकई में बदले हैं ? क्या हम अभी नही खुद को पुरूषों के आधीन  मानते हैं ? हमें लगता उनसे ही हमारा अस्तित्व है। किन्तु ,हमें अब अपने आपको परिवर्तित करना होगा ,खुद की एक पहचान बनानी होगी। जब बेटे  की शादी के लड़की देखी जाती है लड़की का चेहरा ,चाल ढाल , रंग ,रूप यहाँ  तक की नौकरीरत भी चाहते है।

 मगर लडके के बारे में कोई जांच पड़ताल नहीं  करता न ही कोई ये सोचता है की लड़की की इस बारे में क्या राय  है ,क्यों ? कुछ लोग ऐसे भी हुए  है, जो समाज को दिखने के लिए गरीब घर की बेटी को अपना तो लेते है मगर न उसे परिवार में  जगह देते है और न ही दिल में। और हमेशा कहा जाता है की क्या ले कर आई ? मगर कोई ये नहीं समझता कि वो क्या छोड़ कर आई है। यहाँ तक ये सभी लोग लड़की को पसंद करने से पहले पूरी तरह से आस्वस्त होना चाहते हैं , मगर ये कोई नहीं देखता की हमारी क्या  एक्सपेक्टेशन है, हमसे शादी से पहले हमारी पसंद को नजर अंदाज़ कर दिया जाता है।  लड़के का ,  जमींन , रुपये से सम्पन्नता  ही क्या  एक लड़की के सुखी जीवन  के लिए काफी है ?

सोमवार, 8 फ़रवरी 2016

वास्तविक प्रेम !



VASTAVIK PREM IN HINDI




ये फरवरी का महीना है इसमें वेलेनटाइन डे भी पड़ता है। मैं आप सभी से कुछ मन की बात शेयर करना चाहती हूँ , आखिर प्यार क्या होता है ? प्यार तो मुझे  आपको हर किसी को जीवन कभी न कभी जरूर होता है ,चाहे हम उसे पा सके  या नही, उसमे ही हम अपनी खुशियों को तलाशते है। उसे लेकर ख्याल की दुनियां में खोये रहते है, कुछ लोग को  आपने प्यार की मंजिल मिल जाती है , किसी की उम्मीदें अधूरी रह जाती है। और वो मुस्कुराना भूल कर बस याद में दुखी रहने लगते है. 

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रविवार, 7 फ़रवरी 2016

प्रारंभ..

PRARAMBH IN HINDI
श्री गणेश जी सदा सहाय  !


हे दोस्तों ! मेरा नाम है रश्मि। मैं आप सभी की तरह एक आम सी गृहणी हूँ। आज मेरे जीवन का एक अहम  दिन है , क्यों कि आज से मैं ब्लॉगिंग की शुरुवात करने जा रही हूँ और ये मेरा पहला पोस्ट है। मैं इस ब्लॉग में अपने जीवन से मिले अनुभव और छोटी छोटी खट्टी मीठी यादों को आप सभी दोस्तों  के साथ शेयर करुँगी।


हमारी भारतीय सभ्यता  में ऐसा कहा जाता है कोई काम की शुरुवात करते है तो गणेश जी को याद करते है। अतः मैंने अपना पहला पोस्ट गणेश  जी को समर्पित किया है। 

मैंने जीवन में बहुत उत्तर चढ़ाव देखे है, मैंने उनसे ये सीखा है कि परिस्थिति जो भी हो, दोस्तों ,कभी भी खुद को कमजोर नहीं पड़ने देना चाहिए, क्योकि जब हम   खुद को कमजोर समझने लगते है तो , मेरा यकीन  मानिये, आप उसी पल ,उसी समय से नकारात्मक सोच से घिरने लगते है और आप की मुस्कराहट कहीं खो जाती है।तो ठीक है दोस्तों ! आज के लिए इतना ही, तो मुस्कुराते रहिये !

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