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शनिवार, 27 फ़रवरी 2016

सच्ची खुशी

Sachchi Khushi in Hindi

कल से  मेरा मन बहुत उदास था। वजह  तो नहीं जानती, मगर कुछ करने का मन नहीं कर रहा था। बस मन में यही बात थी कि  कोई मुझसे बात न करे और  मैं चुप-चाप बस सोचती ही रहूँ।  परेशानी सिर्फ मुझे ही नहीं, मेरे जैसे ना जाने कितने लोगों को  है।  छोटी -छोटी बातों   को दिल पर  ले कर न जाने कितने समय तक हम सभी  परेशान रहतें हैं ,उससे बाहर ही नहीं आ पाते। आखिर  हमारे इन दुखों की वजह क्या है  ? मैं मानती हूँ कि कुछ बातें ऐसी होती है, जो हमारे मन में घर कर जाती है, जिनको भूलना आसान नहीं होता।  मगर क्या हमनें कभी  सोचा है कि उन मुश्किलों का हम खुद ही ऐसा जाल बुन लेते हैं कि जिससे बाहर नहीं निकल पाते। आखिर हम खुश क्यों नहीं हैं ? हमारे दुख की वजह क्या है ?

धीरज नाम का युवक एक ऐसी ही परेशानी का हल ढूढ़ने एक बाबाजी के पास गया। बाबा जी सभी तरह की परेशानियों का समाधान करते थे। धीरज  ने भी दुखों की लम्बी -चौड़ी  लिस्ट  बाबा जी  के सामने रख दी, जिसका वो समाधान चाहता था। बाबाजी ने धीरज  कहा," बेटा ! अभी घर जाओ कल आना और अपने साथ एक बड़ा पत्थर  ले आना।" अगले दिन धीरज घर से एक बड़ा पत्थर  ले आया और उसने उसे बाबा जी के सामने  रख दिया। फिर बाबाजी ने  धीरज को उस पत्थर को हाथ में उठाने के लिए कहा। फिर बोले नीचे रख दो। एक बार फिर सिर  पर रखने को बोले । फिर वापस नीचे रखवा दिया। थोड़ी देर बाद जाने लगे और धीरज से पत्थर को सिर  पर रख कर अपने पीछे आने को कहा।धीरज ने वैसा ही किया। 

 थोड़ी दूर चलने के बाद  उसके हाथों में दर्द होने लगा और उसने पत्थर को सिर से उतार कर नीचे फेंक दिया। बाबाजी ने धीरज को देखा और मुस्कुराने लगें और बोले ,"बेटा ! अब  शायद तुम्हारी समझ आ ही गया होगा। तुम्हारे दुःख की वजह भी यही है। जिस प्रकार यह पत्थर, थोड़ी देर उठाने पर थोड़ा दर्द देता है  ,ज्यादा देर उठाने पर ज्यादा दर्द देता है और अगर तुम इसे जीवन भर उठाये रहते ,तो यह तुम्हारा जीवन मुश्किल कर देता , ठीक उसी प्रकार हमारी मनःस्थिति होती है। हम अपने परेशानियों को  बोझ  जितना भारी बना कर उठाये रहते हैं , हमें उतनी देर कष्ट पहुंचाता  हैं और जब हम उनसे बाहर आ जातें हैँ, तो हम ख़ुशी से जीवन व्यतीत  कर पाते  हैं। " बात धीरज के समझ में आ गई और वह उसी दिन से ख़ुश रहने की कोशिश  में लग गया।

हम सभी उसी भारी पत्थर को दिन- रात उठाये रहते हैं। क्योंकि  दुखी रहने की हजार वजहें  है, मगर खुश रहने के लिए  एक वजह भी काफी है हमारे लिए। तो मुस्कुराने की वजह तलाशिये और मुस्कुराते रहिये। 

शेष अगले अंक में... 

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