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शनिवार, 18 जून 2016

अपरिपक्वता

Aparipakvata in Hindi

हमने बच्चों को अक्सर खेलते हुए देखा होगा। कितनी ऊर्जा होती है उनके भीतर ! दिनभर हँसते  मुस्कुराते रहते है। उनके नन्हे कदम दिन-रात दौड़ते रहते हैं,फिर भी नहीं थकते। बच्चों के चेहरे देखकर ऐसा लगता है, जैसे ईश्वर ने उन्हें सारी खुशियाँ दे दी हैं। वो कितनी सुकून भरी जिंदगी जीते हैं ! बच्चों के वह खेल -खिलौने, वह बोतलों के ढक्क्न ,वह माचिस की डिबिया ,वो नन्हे बर्तनों का पिटारा ,छोटी सी कार जिसमें दुनियाँ की सैर करते रहते हैं। बच्चों का जीवन भी क्या जीवन होता है ! हर कार्य को करने का कितना उत्साह भरा होता है उनमें !  पर ये ऊर्जा बड़े हो जाने पर कहाँ  खो जाती है ? 

हमने नन्हे बच्चे को देखा होगा,  जो अपने पराये का भेद नहीं जानते। जरा सा किसी का इशारा क्या मिला, खिलखिला कर हँस देते हैं। वो मासूम मुस्कराहट ऊँच -नीच ,गरीबी -अमीरी ,अपने -पराये से कितनी अछूती है। और हम बड़े जब भी किसी से बात करते हैं, तो हम हमारे मन में मंथन करते रहतें हैं कि वह कैसा है ? हमारा क्या लगता है ? उसका स्टेटस कैसा है ? वगैरा -वगैरा। 

मंगलवार, 14 जून 2016

नफ़रत

Nafrat in Hindi


बात उन दिनों की है ,जब शेखर स्कूल में पढता था। वह पढाई में बहुत ही होनहार था। उसके जीवन में एक ही शख्स था और वो थीं उसकी दादी, जिनसे शेखर बेइंतहां नफरत करता था। उसके माता -पिता के गुजर जाने के बाद दादा और दादी ने शेखर को सम्भाला। जब शेखर मात्र 7 वर्ष का था, तभी दादाजी ने भी दुनियां को अलविदा कह दिया। अब महज शेखर की दादी ही थीं ,जो शेखर का ख्याल रखतीं थी।  पर ऐसी क्या वजह थी जो शेखर अपनी दादी माँ से इतनी नफरत करता था ? उसकी वजह  दादी का एक आँख का होना था। जिसके कारण शेखर के दोस्त उसे चिढ़ाते थे। शेखर के घर कोई भी दोस्त आना नहीं चाहते थे। शेखर का  दादी के प्रति नफरत दिन -ब -दिन बढ़ता  जा रहा था ।

एक दिन शेखर अपना टिफिन घर पर भूल गया  और  दादी शेखर को टिफिन देने के लिए शेखर के स्कूल चली गईं। फिर वही हुआ जिसका शेखर को डर  था। जैसे ही दादी स्कूल में आई, शेखर को दादी के जाते  ही
 बच्चे  चिढ़ाने लगे। शेखर को यह बाद इतनी बुरी लगी कि उसने घर आकर अपनी दादी से कह दिया कि आप भी दादा जी की तरह भगवान के पास क्यों नहीं चली जातीं ? मैं आपकी शक्ल भी नही  देखना चाहता हूँ।

गुरुवार, 2 जून 2016

मिठास की कड़वाहट

Mithas ki Kadvahat in Hindi

क्या बात थी ? आज रामू बहुत खुश था। बहुत ही ज्यादा खुश। आज जीवन में पहली बार उसकी हाथों में मीठे ,शुद्ध देशी घी से बने पेड़ा का दोना जो  था,  जिसकी केसर और इलायची  खुशबू रामू के तन -बदन को महका रही थी। वह बस एक टक पेड़े के  दोने को देखे जा रहा था। तभी मालकिन की आवाज सुन कर रामू की तन्द्रा टूटी।  मालकिन ने  रामू से कहा," साहब ने  जो कागज दिया था, वो कहाँ है ?"। रामू  को  मालिक ने जो कागज दफ्तर से घर ले जाकर देने को कहा था, उसने उसे मालकिन के हाथों में पकड़ाते  हुए, वह  एक बार फिर से  पेड़ों की मिठास की दुनियां में खो गया। वह यही सोच रहा था कि ये पेड़े खाने में कितने स्वादिष्ट  होंगे।

तभी मालकिन ने रामू से कहा,"रामू ! बैठे क्यों हो ? खाओ ना। " मालकिन की बात सुन कर रामू को रहा न गया और उसने एक पेड़ा उठाकर मुंह में रख ही लिया। फिर  उस पेड़े की मिठास से रामू का रोम -रोम आनन्दित हो गया। एक पेड़ा खाने के बाद उसको अपने परिवार का ख्याल आया।  

मंगलवार, 24 मई 2016

धूप-छाँव

Dhoop-Chhav in Hindi

अपने जीवन में  प्रतिदिन हमने दिन -रात होते देखा होगा . बस हमारा मन भी इसी दिन -रात  की तरह ही है। कभी खुशियों का प्रकाश हमारे होठों  मुस्कराहट देता है, तो कभी गम के गहरे अंधियारे में हम कहीं खो जाते हैं। और जाने कब हमारे आँखों से आसूं छलक जाते हैं ? हमारा इन भावनाओं पर कोई वश नहीं होता है, ठीक उसी प्रकार जैसे कि  सूर्य उदय होने पर सूरज की किरणों को कोई धरती पर आने से कोई रोक नहीं सकता चाहे कितना भी घना कोहरा क्यों ना हो।

ये जीवन भी उसी प्रकार है इसमें परेशानियाँ ,सुख -दुःख, धूप छाव की तरह ही आते रहते हैं। जिन लोगो ने भी जन्म लिया है वो इन भावनाओं से अछूता नहीं रह सकता है। मैं ये मानती हूँ कि जीवन में कुछ परेशानियों का हल मिल पाना जल्दी सम्भव नहीं हो पता पर वो परेशानी भी तो हमेशा नहीं रहने वाली है। फिर कैसा घबराना  ? कैसी चिंता ? जीवन का निर्माण हुआ, तभी ये भावनाएं मन में उम्र के साथ स्वतः ही आ गई। जब ये भावना नहीं होगी तो सुख -दुःख की अनुभूति भी नहीं होगी ,फिर हमारा जीवन कैसा होगा जरा कल्पना कर के देखिये।  

शनिवार, 21 मई 2016

पेट की भूख

Pet Ki Bhookh in Hindi

ऐसा  हम सभी के साथ होता है  कि हम जब कुछ अच्छा करते हैं  तो हमारे दिल में एक अलग प्रकार की सुख की अनुभूति होती है और जब गलत करते हैं , उस वक़्त उस पल जरूर हमारे मन को थोड़ा अच्छा लगता है ,लेकिन जीवन में जब हमारा किसी  परेशानी से वास्ता  होता है तो हमें पहले की हुई गलती का पश्चाताप होता है ,जिसे हम कभी भी पीछे जाकर सुधार नहीं सकते।

 इस बदलते ज़माने के दौर में जहाँ लोग रिश्तों को फायदे से तोलने के बाद बनाते हैं , रिश्तें के  अपनापन में पुश्त - दर -पुश्त  बदलाव आता जा रहा है। पहले के लोग रिश्ते  के प्रति इमोशनल होते थे। फिर एक दौर आया, जब लोग रिश्तों को प्रेक्टिकल हो कर देखने लगे कि किन रिश्ते को जोड़ने में हमें फायदा होगा उसी से खुद को जोड़ने लगे। आज -कल की सोच तो सबसे ज्यादा स्वार्थ पूर्ण हो गई है। आज के युग के लोग किस रिश्ते में कितना प्रतिशत फायदा पहुंचेगा ये सोच कर बनाते  हैं।

क्या भावना किसी के हाथ की कठपुतली है  कि जैसे जी चाहा उसका डोर वैसे ही खींचेंगे ?  खैर इस पर जितनी चर्चा की जाय कम है। आज मैं किन बातों को लेकर बैठ गई और सोच के किस समंदर में डूब गई और उसके छीटें आप सभी पर पड़े। माफ़ कीजियेगा !

शनिवार, 14 मई 2016

तलाक़

Talak in Hindi

जीवन में हम सभी रोज किसी न किसी उलझनों से घिरे रहते हैं। कुछ उलझन तो बिन बुलाये आ जाते हैं ,और कुछ हमारे द्वारा निमंत्रण देने पर आते हैं, जिसके लिए हम खुद जिम्मेदार होते हैं।

एक वो भी दौर हुआ करता था, जब शादी हो जाने के बाद पति -पत्नी एक दूसरे के ऊपर अपना सारा जीवन न्योछावर कर देते थे। एक दूसरे की भावनाओं का  सम्मान करते थे व एक दूसरे में अपनी पूरी दुनियाँ समझकर जीवन जीते चले जाते थे। हमने कभी भी ये नहीं सुना होगा कि दादा -दादी में नहीं निभी तो उन लोगों ने तलाक ले लिया। या फिर ताऊ जी, जो ज्यादा बड़ी माँ पर गुस्सा करते थे, तो ताई जी ने अलग होने का निर्णय ले लिया। ऐसा तो हमने अपने माता -पिता के साथ भी नहीं देखा। पर आजकल की पीढ़ी ,जो जरा सी परेशानी की हवा क्या चली एक दूसरे का मुँह तक नहीं देखना चाहते। थोड़ी सी ऊंच -नीच होने पर उनको एक मिनट भी नहीं लगता- अलग होने का फैसला लेने में। सच कितनी मॉडर्न हो गई है आज कल की  पीढ़ी !

शुक्रवार, 6 मई 2016

छल भाग-2

Chhal Part-2 in Hindi


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करन ने  नेहा को कॉल लगाई, फिर नेहा ने करन से कहा ," तुमने पहले कितने लड़कियों के साथ रात गुजारी है ? " नेहा की बात सुन करन हतप्रभ रह गया। चार दिनों तक वह ठीक से खाना भी नहीं खा सका। फिर करन ने खुद को सम्भाला और अगले दिन करन ने कॉल फिर से  लगाया ,पर नेहा का फोन नहीं उठ रहा था, जैसे वह जान बूझ कर करन को तड़पाने के लिए ऐसा कर रही थी। फिर करन की नेहा से बात हुए एक महीना होने को आया।

करन रोज मार्केट जाता था ,इसी आशा  में की कही नेहा की एक झलक देखने को मिल जाये। फिर एक दिन संजोगवश  नेहा की सहेली बैंक में मिल गई ,उसने बताया ,"नेहा अब I.A.S. की तैयारी कर रही है। उसने कहा है कि तुम अगर नेहा से शादी करना चाहते हो तो तुमको I.A,S. Clear करना होगा।तभी वो तुमसे शादी करेगी ,वरना उसे भूल जाओ।"